साधना यात्रा: सातवाँ दिन
कुन्नूर (तमिलनाडु)
23 अप्रैल, 2025
अप्रैल का महीना कुन्नूर के लिए सुहावने मौसम का प्रतीक है। 20 डिग्री तापमान में प्रकृति की गोद में आनंद लेने के सुनहरे पल हैं।
सुबह का ध्यान आदि क्रम पूर्ण कर 6:30 बजे हरियाली से घिरे प्रदूषण-रहित प्राकृतिक वातावरण में वॉक का विशेष आनंद लिया। मुकेशजी एवं अमन के स्थानएक घंटे की वॉक के बाद भी ऐसा लग रहा था मानो एक और घंटे आराम से चला जा सकता हूँ — शरीर में उतनी ऊर्जा छलक रही थी।
इसके बाद नियमानुसार ध्यान में बैठा। अब नियमित लंबे ध्यान के कारण विकल्प शांत पड़ते जा रहे हैं।
दोपहर में अमन के घर गोचरी लेने गया। इसके बाद पास की एक चाय फैक्ट्री का दौरा किया। चाय कैसे बनती है, इसकी पूरी प्रक्रिया देखना और समझना अपने आप में एक सीखने योग्य अनुभव था। शाम को प्रार्थना और ध्यान का क्रम पूर्ण कर कुछ आत्मीय जनों के साथ सत्संग में बैठा।
आज फुर्सत के समय में रॉबिन शर्मा की पुस्तक को आगे पढ़ रहा था। उन्होंने लिखा है कि यदि मनुष्य हर दिन की शुरुआत अच्छे विचारों के साथ करे, तो जीवन की गुणवत्ता में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। सुबह के शांत वातावरण में कुछ सूत्रों को रोज़ दोहराना चाहिए, जैसे:
✓ आज का दिन मेरे लिए ईश्वर के वरदान के समान है, मैं इसका सम्मान करता हूँ। मैं इस दिन को भरपूर जिऊँगा और इसका सार्थक उपयोग करूँगा। आने वाला कल केवल एक कल्पना है, आज ही सच्चाई है।
✓ मैं सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास करूँगा, पीड़ित अनुभव करने का नहीं। मैं दूसरों की नकल नहीं करूँगा, बल्कि मेहनत से आगे बढ़ूँगा, अपना रास्ता खुद निर्मित करुंगा।
✓ मैं कायर नहीं, साहसी बनूँगा। अपनी ऊर्जा दूसरों की आलोचना या शिकायत में नहीं, बल्कि रचनात्मक कार्य में लगाकर अपनी शक्ति का गौरव बढ़ाऊँगा।
✓ आज मैं चिंतन और डायरी लेखन के लिए समय निकालूँगा। समय नष्ट करने वाली बातों से दूर रहूँगा और अपने संकल्प के अनुसार दिनचर्या को सार्थक बनाऊँगा।
✓ आज मैं स्वयं को एवं दूसरों को दिए गए प्रत्येक वचन को निभाने का प्रयास करूँगा। अच्छी आदतों को अपनाऊँगा और वही पाना चाहूँगा जिससे चित्त प्रसन्न हो।
✓ बातों से ज़्यादा कर्म पर ध्यान दूँगा। गैर-ज़िम्मेदार व्यवहार के बजाय ठोस परिणाम दूँगा।
✓ यदि मुझे विश्राम की आवश्यकता होगी, तो मैं उसे समय की बर्बादी नहीं मानूँगा। क्योंकि उचित विश्राम के बिना कार्य की अधिकता मेरी क्षमता को और घटा देगी।
✓ आज मैं कल से अधिक समर्थ, अधिक आशावादी, अधिक मुस्कुराता और अधिक करुणामय रहूँगा।
✓ अंत में जब मैं मृत्युशैया पर होऊँगा, तो यह महत्वपूर्ण होगा कि मैंने कितनों को प्रेरणा दी, कितनों की देखभाल की और कितनों के प्रति बड़ा मन रखा।
✓ उच्च सिद्धांतों की ओर मेरी यह यात्रा — मेरी ये छोटी-छोटी जीतें ही मुझे मेरी ऊँचाई और सच्चाई से परिचित कराती हैं।
हर दिन की तरह आज का दिन भी अर्थपूर्ण रहा। मन शांत है, विकल्प अभी छुट्टी पर है, और जागरूकता के पलों का अद्भुत आनंद मिल रहा है।
~ Samanji Shrutpragyaji