"अपने स्वरूप की खोज : वावानिया में अंतर्मुखी यात्रा" March 23, 2025
Peace of Mind

ववाणिया

ता. मार्च 23, 2025

आज मौन, एकांत और ध्यान साधना का तीसरा दिन पूरा हो गया। एकांत में रहने से आत्म-निरीक्षण सरल हो जाता है। आज तीसरे दिन मौन, एकांत और ध्यान के प्रयोग में समय बिताने के बाद यह एहसास हुआ कि मेरा मूल स्वभाव अंतर्मुखी है। कर्तव्य निर्वहन के कारण मैं स्वाभाविक रूप से बहिर्मुखी होने लगा और अपने अंतर्मुखी स्वभाव को भूलने लगा, लेकिन वह मेरा असली स्वभाव नहीं है। जिनका स्वभाव अंतर्मुखी होता है, उन्हें एकांत, ध्यान और मौन अच्छा लगता है। ऐसे लोग भीड़ से दूर रहना पसंद करते हैं, कम बोलने की प्रवृत्ति रखते हैं और अपनी मस्ती में डूबे रहते हैं।

मनुष्य को अपने मूल स्वभाव को पहचानना सीखना चाहिए। बहिर्मुखी व्यक्ति प्रबंधन (मैनेजमेंट) में कुशल हो सकता है क्योंकि यह मार्ग बाहर की ओर खुलता है। वहीं, अंतर्मुखी व्यक्ति आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छू सकता है क्योंकि यह मार्ग भीतर की ओर जाता है। एक मार्ग शक्ति का है और दूसरा शांति का। शक्ति के मार्ग में अहंकार और संघर्ष होता है, जबकि शांति के मार्ग में नम्रता और स्वीकृति की भावना होती है ।

~ समणजी

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