आज दिवाली है। नया साल शरू होगा।लोग दीप जलाएंगे। बहार का दीप निमित्त मात्र है, मूल तो भीतर का दीप जले तभी अमनचैन और शांति की अनुभूति हो सकती है। आदमी बहार से विकास करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भीतर से समृद्ध होने का प्रयत्न हो तभी सच्चे आनंद की अनुभूति हो सकती है। परमात्मा प्रकाश है, यह शरीर परमात्मा का मंदिर है, ध्यान दीप है। जागृति, ध्यान एवं आत्म निरिक्षण का दीप जले तभी आदमी भीतर से समृद्ध होगा। जब यह होगा उसके बाद आदमी सच्चे अर्थ में धनवान होगा, फिर नहर की लोभ लालच पर अपने आप ब्रेक लगेगी। भीतर की दुनिया भी अनंत है। उस अनंत को जानने का मार्ग ध्यान है। ध्यान का नशा चढ़ना जरुरी है। उसके लिए नियमित अभ्यास जरुरी है। चलो आज से ध्यान का दीप जलाये। यह दीप किसी भी प्रकार के तुफानो में भी बुझेगा नहीं। नए साल की यही शुभेच्छा।
Saman Shrutpragyaji
27/10/2019